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6 Dec 2017

RBI ने नहीं घटाई ब्याज दरें, सस्ते कर्ज के लिए करना होगा अभी और इंतजार



भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समित‍ि ने रेपो रेट में एक बार फिर कोई बदलाव नहीं किया है. इसका मतलब है कि इस बार भी आम लोगों का सस्ते कर्ज के लिए इंतजार खत्म नहीं हुआ है.

आरबीआई ने रेपो रेट को 6 फीसदी पर बरकरार रखा है. इसके बाद सस्ते कर्ज के लिए आम आदमी को फरवरी तक इंतजार करना पड़ेगा. इससे पहले अक्टूबर में भी आरबीआई की मौद्रिक समिति ने रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की थी. अक्टूबर में भी इसे  6 फीसदी ही रखा गया था.

एमपीसी की तरफ से रेपो रेट में कटौती न किए जाने के लिए महंगाई को जिम्मेदार बताया गया है. एमपीसी ने कहा है कि महंगाई को 4 फीसदी के दायरे में बांधे रखने के लिए और ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए यह फैसला लिया गया है.

 विकास दर के अनुमान में भी नहीं किया बदलाव

आरबीआई ने अर्थव्यवस्था की विकास दर के अनुमान में भी इस बार कोई बदलाव नहीं किया है. इसे 6.7 फीसदी पर ही रखा गया है. बता दें कि पिछली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में विकास दर को 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया गया था. आरबीआई ने अगस्त में ही 7.3 फीसदी का अनुमान जारी किया था.

दिखा कच्चे तेल की कीमतों का असर

आरबीआई ने अपनी पांचवीं द्वी मासिक मौद्रिक समिति की  बैठक में कहा कि दूसरी तिमाही का ग्रोथ अक्टूबर में अनुमानित ग्रोथ से कम है.  आरबीआई  ने कहा कि हाल ही में कच्चे दामों की कीमतें बढ़ने का असर भी विकास दर की अनुमान पर पड़ा है. आरबीआई ने इसके साथ ही कहा कि हाल के महीनों में क्रेडिट ग्रोथ बेहतर रहा है.  केंद्रीय बैंक ने कहा कि सरकार की तरफ से रिकैपिटलाइजेशन लोन मिल जाने के बाद यह स्थ‍िति और भी सुधर सकती है.

सर्विस सेक्टर के आएंगे अच्छे दिन

आरबीआई ने एमपीसी स्टेटमेंट में कहा है कि सर्विस सेक्टर  खासकर रियल इस्टेट में कमजोरी देखने को मिली है. हालांकि आने वाले दिनों में सर्विस सेक्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर मजबूत होगा. इन दोनों क्षेत्र में मांग बढ़ सकती है. इसके साथ ही इनकी वित्तीय स्थ‍िति बेहतर होगी और कारोबार में भी सुधार होने की उम्मीद है.

बदला महंगाई का अनुमान
आरबीआई ने महंगाई के अनुमान में बदलाव कर दिया है. उसने कहा है कि दिसंबर और मार्च की तिमाही में महंगाई 4.3 से 4.7 फीसदी  के बीच बनी रहेगी.  अक्टूबर की मीटिंग में एमपीसी ने इसे 4.2 से 4.6 की रेंज में रहने का अनुमान लगाया था.

आरबीआई ने कहा कि हाल के दिनों में सब्ज‍ियों के दाम में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. हालांकि आने वाले वक्त में इससे थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. दालों की कीमत भी कम होने लगी हैं. जीएसटी परिषद ने भी कई उत्पादों के रेट घटाकर कम कर दिया है. इन सबका फायदा आने वाले दिनों में महंगाई कम होने के तौर पर मिल सकता है.

सस्ते कर्ज का इंतजार बढ़ा

आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में कोई बदलाव न करने से सस्ते कर्ज का इंतजार और बढ़ गया है. इसके बाद अब सीधे फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग होनी है. कर्ज सस्ते होने की उम्मीद अब फरवरी तक लटक गई है. हालांकि फरवरी में भी आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करेगा. ऐसा जरूरी भी नहीं है.

दरअसल रेपो रेट में कटौती का फैसला महंगाई और इकोनॉमी के हालात देखकर लेता है. अगर आने वाले दिनों में इकोनॉमी की हालत बेहतर स्थ‍िति में रहती है और महंगाई भी नियंत्रण में रहती है, तो आपको सस्ते कर्ज का तोहफा आरबीआई दे सकता है.

रेपो रेट क्या होता है

जब बैंकों के पास फंड की कमी हो जाती है, तो वे केंद्रीय बैंक (आरबीआई) से लोन लेते हैं. उन्हें यह लोन एक फिक्स रेट पर आरबीआई की तरफ से दिया जाता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. रेपो रेट हमेशा आरबीआई ही तय करता है.

रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी रखा

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समित‍ि ने रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी किया है. आरबीआई ने कहा है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 4 फीसदी पर रहा है. इससे हमें मध्यअवध‍ि का लक्ष्य  हासिल करने में मदद मिली है. यह अर्थव्यवस्था के विकास को रफ्तार देने में मददगार साबित हुआ है.

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट

रिवर्स रेपो रेट वह रेट होता है, जिस पर देश का केंद्रीय बैंक बैंकों से लोन लेता है. आसान शब्दों में कहें तो जिस तरह आप बैंक से लोन लेने पर इस पर ब्याज चुकाते हैं, उसी तरह आरबीआई भी बैंकों से पैसे लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि (रिवर्स रेपो रेट) देता है. रेपो रेट जितना ज्यादा होगा, बैंकों को उतना ज्यादा फायदा मिलेगा. 

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