टिकट न मिलने से नाराज़ हिमाचल प्रदेश के बीजेपी और कांग्रेस के बागी नेताओं ने चुनाव के मैदान से हटने से इनकार कर दिया है. सबसे ज़्यादा 15 बागी कांग्रेस में है, जिनमें से ज्यादातर का ताल्लुक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खेमें से है. बीजेपी में कुल 7 बागी नेता हैं, जो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
बागी नेता चुनाव के मैदान से हटने के लिए तैयार नहीं हैं. बीजेपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इन बाग़ियों को मानने मे नाकाम रहे हैं. राज्य की इन दो प्रमुख पार्टियों की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ज्यादातर बागी रसुखदार हैं. इनकी वोट बैंक पर अच्छी पकड़ है. इनमें से कुछ मौजूदा विधायक हैं तो कुछ पूर्व में मंत्री और विधायक रह चुके हैं.
उधर भारतीय जनता पार्टी के बागियों में खास हैं प्रवीण शर्मा (पूर्व विधायक) जो शांता कुमार खेमे से संबंध रखते हैं. वह पालमपुर चुनाव क्षेत्र से चुनाव के मैदान में डटे हैं. ऊना के हरोली से रविंद्र मान, रेणुका जी से हृदयराम, चंबा से मौजूदा विधायक वीके चौहान और डीके सोनी, फतेहपुर कांगड़ा से बलदेव सिंह ठाकुर और राजन सुशांत भी बागी हो गए हैं और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन गए हैं.
कांग्रेस के जो बागी अभी भी चुनाव मैदान में डटे हैं उसमें रामपुर, शिमला से पूर्व कैबिनेट मंत्री सिंघी राम, ऊना से राजीव गौतम, लाहौल स्पीति से राजेंद्र करपा, कुल्लू से रेणुका डोगरा, द्रंग से पूर्ण चंद ठाकुर(प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष ), नालागढ़ से हरदीप सिंह बाबा (इंटक के अध्यक्ष) और शिमला शहरी चुनाव क्षेत्र से हरीश जनारथा शामिल हैं.
कांग्रेस कुल 15 सीटों पर बाग़ियों के निशाने पर हैं. गुरुवार को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था, लेकिन इन बाग़ियों ने अपने नामांकन वापस नहीं लिए. अब ताजा स्थिति के मुताबिक 68 विधानसभा सीटों पर 348 प्रत्याशी चुनाव के मैदान में हैं. इस बार कुल 476 नामांकन भरे गए थे, जिसमें से 82 नामांकन त्रुटियों के वजह से रद्द कर दिए गए और 46 प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस ले लिए.
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