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9 Nov 2017

नेहराजी बोले- टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम को धोनी-विराट की जरूरत

न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने होम ग्राउंड पर टी-20 खेलकर आशीष नेहरा ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. नेहराजी अपने आखिरी मुकाबले में भारतीय टीम के लिए शुभ साबित हुए.
भारत ने 10 साल बाद न्यूजीलैंड पर टी-20 इंटरनेशनल में पहली जीत पाई.
संन्यास के बाद नेहरा ने आजतक के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अपने करियर के यादगार पल साझा किए. खास तौर पर वह विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी के बारे में खुलकर बोले.

टीम इंडिया लकी, उसके पास विराट-धोनी हैं

आशीष नेहरा ने टीम इंडिया के मौजूदा ड्रेसिंग रूम में महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली की मौजूदगी पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा,
'ड्रेसिंग रूम में विराट और धोनी की मौजूदगी बहुत जरूरी है. टीम इंडिया भाग्यशाली है कि उसके पास ये दो हैं. खासकर धोनी का अनुभव युवाओं के काम आता है. इस टीम में दम है कि वह भारत से बाहर भी अच्छा कर पाएगी.'

विराट की सोच टीम को आगे लेकर जा रही है
विराट के जज्बे पर उन्होंने कहा, 'हंसमुख एग्रेसिव विराट का नेचर ऐसा है
 कि अगर उन्होंने दो मैचों में दो शतक लगाए, तो इसका मतलब यह नहीं कि इसके बाद वह आराम करेंगे, वह तीसरे मैच में भी शतक बनाने का जज्बा रखते हैं.
 यह जरूरी नहीं कि ऐसा हर मैच में हो सकता है, लेकिन उनकी ऐसी सोच बहुत अच्छी बात है. विराट टीम के बाकी युवा खिलाड़ियों को भी इसी तरीके से आगे लकर जा रहे हैं.'

इस वजह से खिलाड़ी धीरे-धीरे खुलते गए

बदलते दौर में भारतीय टीम में भी आए बदलाव की वजह पर उन्होंने कहा, 'मैंने जब खेलना शुरू किया, यानी 1999 से 2004 के दौरान इंटरनेशनल क्रिकेट में आने के बाद खिलाड़ी आज की तरह निडर नहीं थे.
उस वक्त खिलाड़ी धीरे-धीरे खुलते थे. इसकी एक वजह आईपीएल भी है. इंडिया-ए के इतने सारे टूर हैं. इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ डोमेस्टिक से आए खिलाड़ी जब आईपीएल खेलता है
 और ड्रेसिंग रूम शेयर करता है, तो वह सहज महसूस करता है.'

गांगुली-धोनी की दिलचस्प तुलना की

सबसे अच्छा हैंडल किस कप्तान ने किया, जिसने उनके खेल और शरीर दोनों को समझा,
\इस सवाल पर नेहरा ने सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी की दिलचस्प तुलना की. उन्होंने कहा, 'मैंने सबसे ज्यादा क्रिकेट सौरव गांगुली की कप्तानी में खेला.
उस वक्त हम अपनी चोट की भी परवाह नहीं करते थे. लेकिन बाद में महसूस किया कि इंजुरी के बाद भी खेलकर मैंने अपनी चोट को और बढ़ा लिया. बाद में भी मुझे परेशानी होती रही, लेकिन इसे 'मैनेज' करता गया.

नेहरा ने कहा, 'महेंद्र सिंह धोनी अलग तरह के कप्तान थे. उन्हें पता था कि खिलाड़ी से कैसे उसका 'बेस्ट' निकलवाया जा सकता है.
\वह मुझसे हमेशा बोलते कभी भी ऐसा लगे कि आप गेम के लिए फिट नहीं हो, तो मुझे बता देना, कोई प्रॉब्लम नहीं, रेस्ट कर लेना. दादा कहते थे, 'आरे आशु तू खेल जाएगा, टेंशन मत कर.'
वीरेंद्र सहवाग, जो टीम इंडिया के लिए ज्यादा कप्तानी नहीं की, वो बड़े ज्यादा पॉजिटिव कप्तान थे.

विराट और इमरान खान को एक-दूसरे से जोड़ा
मौजूदा कप्तान विराट कोहली के बारे में नेहरा ने कहा, 'कप्तान के तौर पर विराट का एक अलग तरीका है.
जितने भी नए प्लेयर्स हैं, चाहे हों यजुवेंद्र चहल, केएल राहुल हों या अक्षर पटेल- सभी को इस तरह का कॉन्फिडेंस दे रहे हैं कि सीरीज में 2-0 की बढ़त  है तो 3-0 के बारे में सोचें. विराट सिर्फ कहते ही नहीं,
 खुद भी इस पर अमल करते हैं. पाकिस्तान में अपने जमाने में इमरान खान भी ऐसा ही करते थे.
किसी को वो ये नहीं कहते थे कि तुम दस राउंड मारो, पहले खुद इतने राउंड मारते थे, फिर दूसरे से कहते थे तुम भी 4-5 राउंड लगा लो.'

2001 में ऑस्ट्रेलिया को हराने से प्रेरणा मिली

करियर के यादें साझा करते हुए उन्होंने कहा, 'सख्या में गिनाना मुश्किल हैं, मैं तो कहूंगा मेरे 19 साल का पूरा करियर यादों से भरा है. इस दौरान बहुत कुछ सीखा, बड़े उतार-चढ़ाव आए. 2003 वर्ल्ड कप फाइनल हम हारे, 2011 वर्ल्ड कप फाइनल जीते, चैंपियंस ट्रॉफी जीते और आईपीएल भी जीते. 2001 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज, जिसमें हरभजन सिंह ने 32 विकेट झटके थे. मैं भी उस दौरान दो टेस्ट में 12वां खिलाड़ी था. ऑस्ट्रेलिया को तब हराना बड़ी बात थी और यह जीत मेरे लिए प्रेरक साबित हुई.

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