दिल्ली में बढ़े वायु प्रदूषण पर लगाम के मकसद से प्रस्तावित वाहनों के ऑड-इवन फॉर्मूले को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में इजाजत दे दी है. हालांकि एनजीटी ने इसके साथ ही कुछ शर्ते भी लगाई हैं.
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा, शहर में जब भी PM10 का स्तर 500 और PM2.5 का स्तर 300 के पार हो तो सरकार तुरंत ऑड इवन लागू करें.
अधिकरण ने इसके साथ ही अपने आदेश में कहा कि किसी अधिकारी, महिला या दो पहिया वाहनों को कोई छूट नहीं दी जाए.
एनजीटी ने साथ ही अपने आदेश में कहा कि सभी प्राइवेट यातायात सर्विस देनें वाले सरकार के साथ कोर्डिनेट कर सीएनजी बसें चला सकते हैं.
इससे पहले एनजीटी ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई. इस मामले की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने केजरीवाल सरकार से वह आर्डर दिखाने को कहा, जिसमें ऑड इवन लागू करने की बात है.
NGT ने केजरीवाल सरकार से पूछे ये सवाल
1. कौन सी स्टडी के आधार पर ऑड-इवन लागू किया?
2. क्या आपने इस पर उपराज्यपाल से इजाजत ली?
3. पिछले 10 दिन में ऑड इवन लागू क्यों नही किया?
4. ऑड इवन में दो पहिया वाहनों को छूट देने का वैज्ञानिक आधार क्या है?
5. दिल्ली में क्या कभी PM10 का स्तर 100 रहा है?
एनजीटी ने इस दौरान कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्रीय पूदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को कोई जानकारी ही नहीं है.
अधिकरण ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, हमारे सब्र का इम्तिहान मत लीजिए. एनजीटी ने साथ ही पूछा, 'ऑड इवन लागू करने पर अपनी मंशा बताइए. कोर्ट के आदेश से पहले आपने ऑड इवन क्यों लागू नहीं किया.
क्या हालात सिर्फ 5 दिन के लिए गंभीर हुए हैं?'
एनजीटी ने पूछा, क्या पिछले 2 दिन में पेट्रोल से चलने वाली 15 साल पुरानी या 10 साल पुरानी डीजल एक भी गाड़ी आपने उठाई है. अधिकरण ने अपने आदेश में कहा, एंट्री पॉइंट पर ट्रैफिक चेक कीजिए.
अवैध निर्माण कार्य पर लगाएं 1 लाख जुर्माना
कोर्ट ने कहा यमुना के पास बेहिसाब खुदाई हो रही है. हमारे कहने पर कितने बिल्डर्स पर चालान काटे गए, एक बिल्डर का नाम बताइए? अगर निर्माण कार्य जारी है, तो आप एक लाख का दंड लगाइए.
दिल्ली में फिर ऑड ईवन की तैयारी में सरकार
दरअसल दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने वायु प्रदूषण पर काबू के लिए 13 नवंबर से 17 नवंबर तक शहर में ऑड-इवन फॉर्मूला लागू करने की घोषणा की थी.
जिस पर एनजीटी ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से कहा कि इस फॉर्मूले की पिछली बार की उपयोगिता साबित होने के बाद ही इसे आगे लागू करने की इजाजत दी जाएगी.
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्रीय और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में नंबर नियम के दौरान प्रदूषक तत्वों, पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ी हुई पाई गई.
ऐसे में इस कवायद को जबरन लोगों पर थोपने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
इसके साथ ही एनजीटी ने सरकार से यह बताने को भी कहा कि इस नियम के दौरान महिलाओं और दो पहिया वाहनों को छूट क्यों दी गई है,
जबकि आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में दो पहिया वाहनों की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत है.
पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि 'हम आपकी इस मुहिम को रोकना नहीं चाहते है. यह वास्तव में पर्यावरण के हित में उठाया गया प्रशंसनीय कदम है,
लेकिन इसे जिस तरीके से लागू किया जा रहा है वह अवैज्ञानिक और निरर्थक प्रतीत होता है.'
वहीं एनजीटी के इस आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार के पास ऑड इवन फॉमूले के प्रभाव का तथ्यवार ब्योरा मौजूद है.
राय ने कहा कि इसे सरकार दिल्ली हाईकोर्ट के सामने भी पेश कर चुकी है और एनजीटी में यह रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि ‘सरकार एनजीटी के सामने यह रिपोर्ट रखेगी और अगर एनजीटी कहता है
कि इसे लागू करने का कोई लाभ नहीं है तो सरकार ऐसा नहीं करेगी.’
वहीं इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एनजीटी से बड़ा सुप्रीम कोर्ट है.
NGT को ये जानना चाहिए कि जब सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम बनाने को कहा था. आप प्रवक्ता ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने ये निर्धारित किया है
कि इमरजेंसी सिचुएशन में ऑड इवन लाया जाए तो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कुछ सोच समझ कर ही ये निर्णय लिया होगा. NGT को ये बात समझनी चाहिए.

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