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11 Nov 2017

कश्मीर की सीएम बोलीं- आजादी नहीं किसी और विचार की जरूरत?


जम्मू एवं कश्मीर में समस्या समाधान के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा के दौरे के बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आजादी से बेहतर आइडिया तलाशने की जरूरत पर बल दिया है.

महबूबा मुफ्ती ने न सिर्फ देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने बल्कि गठजोड़ का एजेंडा तय करने और स्वायत्तता पर बहस किए जाने की बात भी कही.

एक समाचार पत्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहुंची महबूबा मुफ्ती ने कहा, "मेरे पिता हमेशा कहा करते थे विचारों का संघर्ष ही लोकतंत्र होता है. उसी तरह आजादी एक विचार है और हम इससे दूर नहीं भाग सकते.
 मुझे नहीं पता कितने लोग बता सकते हैं कि आजादी के उनके मायने क्या हैं. 14 साल का कोई किशोर आजादी को बयां नहीं कर सकता, लेकिन वह भी सड़क पर निकल कर आजादी के नारे लगाता है."

बातचीत एकमात्र रास्ता
भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता बातचीत है
और मुझे खुशी है कि पहली बार भारत सरकार के प्रतिनिधि के साथ यह बातचीत हो रही है. इससे पहले नियुक्त किए गए वार्ताकारों से उलट इस बार नियुक्त वार्ताकार को कैबिनेट सेक्रेटरी का दर्जा दिया गया है.

उन्होंने कहा, "हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री बेहद ताकतवर हैं, जिनके पास बहुत बड़ा जनादेश है.
 मेरे खयाल से वह जब भी इस संबंध में कोई फैसला करेंगे तो वह पूरी बहस को बदलने की क्षमता रखते हैं. वह इस समस्या को हमेशा के लिए खत्म कर इतिहास रचेंगे."

आजादी की मांग पर महबूबा की राय

लंबे समय से कश्मीर वासियों द्वारा आजादी की मांग करने को लेकर महबूबा मुफ्ती ने कहा, "हमें आजादी से बेहतर आइडिया इजाद करने की जरूरत है.
 मेरे पिता कहा करते थे कि हमारे पास जो कुछ है पर्याप्त है, अगर हम उसकी हिफाजत कर सकते हैं तो. हमारा अपना संविधान है, अपना ध्वज है. इसके साथ ही हमारे पास भारत का बड़ा और बेहतर संविधान भी है.
 हमें किसी समस्या के समाधान के लिए इन संविधानों से परे जाने की जरूरत नहीं है."

'कश्मीर को मध्य एशिया का गेटवे बनाएं'

महबूबा मुफ्ती ने साथ ही कहा कि हम जम्मू एवं कश्मीर को मध्य एशिया का गेटवे क्यों नहीं बना सकते? हम एक कनेक्ट क्यों नहीं स्थापित कर सकते?
 यह बेहद जरूरी है कि कश्मीर वासी जानें की इस दुनिया के दूसरी ओर क्या है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर पर अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए सभी पक्षों से बातचीत करने के लिए 23 अक्टूबर को पूर्व आईबी प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया.
 दिनेश्वर शर्मा कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत कर अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को सौंपेंगे.
वह बातचीत के लिए पांच दिन के दौरे पर 6 नवंबर को कश्मीर पहुंचे. हालांकि केंद्र सरकार का यह कदम खास असर छोड़ता नजर नहीं आया,
जब हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी गुट ने वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा से बातचीत करने से ही इनकार कर दिया.

वहीं दिनेश्वर शर्मा ने खुद से लगाई जा रही बड़ी उम्मीदों पर कहा कि उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है, जिसके घुमाते ही शांति कायम हो जाए.

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