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16 Oct 2017

मिलावट का मायाजाल यूं रहें सतर्क

दिवाली के समय मिठाइयां बनाने से लेकर घर में बनने वाली गुजिया व हलवा आदि में मावे की बहुत जरूरत होती है। मावे और दूध की बढ़ी मांग को पूरा करने और अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में इसमें मिलावट की जाती है। मिलावटी मावे के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। आगे की स्लाइड्स में पढ़ें कि कैसे होती है मावे में मिलावट और किस तरह आप बड़ी आसानी से कर सकते हैं नकली मावे या मिठाई की पहचान...

मावे में अक्सर स्टार्च, आटा आदि की मिलावट की जाती है। स्टार्च काफी सस्ता होता है और इसे मिलाने से मावे की मात्रा बढ़ जाती है।

- मिलावटी मावे की पहचान के लिए थोड़ा-सा मावा लेकर उसे किसी बर्तन में रखकर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर गर्म करें।
- गर्म होने के बाद उसमें टिंचर आयोडीन की कुछ बूंदे डालें।
- अगर खोवे में स्टार्च मिला होगा तो उसका रंग तुरंत नीला हो जाएगा, जबकि असली मावे का रंग पहले जैसा ही रहेगा।
- इसी तरीके से मिलावटी मावे से बनी मिठाई की भी जांच घर पर की जा सकती है।
- हथेली पर मावा की गोली बनाएं, अगर यह फटने लग जाए तो समझिए मावा नकली है।
- असली मावा चिपचिपा नहीं होता।
- चखकर भी असली मावे की पहचान की जा सकती है। अगर मावे का स्वाद कसैला है तो मावा नकली हो सकता है।
विशेषज्ञों की मानें, तो एक किलो दूध से सिर्फ 200 ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता। लिहाजा मिलावटी मावा बनाया जाता है। मिलावटी मावा बनाने में अक्सर शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है।
- नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि उसका वजन बढ़े।
- वजन बढ़ाने के लिए मावे में आटा भी मिलाया जाता है।
- नकली मावा असली मावा की तरह दिखे इसके लिए इसमें कुछ केमिकल भी मिलाए जाते हैं।
- कुछ दुकानदार दूध के पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावा तैयार करते हैं।


इसके अलावा रंग बिरंगी मिठाइयों से भी बचकर रहना चाहिए। मिठाइयों में लगने वाला रंग कार्सोजेनिक होता है, जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है।  

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