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16 Oct 2017

भारत के पहले ओलंपिक तैराक का निधन, गरीबी में बिता रहे थे जीवन

भारत के पहले ओलंपिक तैराक शमशेर खान का रविवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. शमशेर 87 साल के थे. वह गुंटूर जिले के रिपाले के निकट एक छोटे से गांव कैथपाले में रहते थे. शमशेर की बहू एम. रोशन ने कहा कि उन्होंने सुबह सीने में दर्द की शिकायत की लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनका निधन हो गया.
उनकी तीन बेटियां और दो बेटे हैं. शमशेर देश के पहले तैराक थे जिन्होंने 1956 में ओलंपिक में हिस्सा लिया था. उन्होंने 200 मीटर बटरफ्लाई में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर मेलबर्न ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. हैरान करने वाली बात ये है कि कई सुधारों और बेहतर कोचिंग सुविधा के बावजूद कोई भी 6 दशकों में भारतीय तैराक उनका रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाया.
शमशेर खान लगभग 24 साल तक भारतीय सेना में रहे और सूबेदार के पद पर रहते हुए रिटायर हुए. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक खान ने अपनी पूरी जिंदगी गरीबी में बिताई और अपने अंतिम दिनों तक भी उन्होंने गरीबी में ही जीवन व्यतीत किया, उन्हें मिलने वाली पेंशन ही उनके परिवार में कमाई का एकमात्र साधन रही. खान के बड़े बेटे साजिद वली खान भारतीय सेना में कार्यरत हैं.
शमशेर खान साल 1946 में सेना में भर्ती हुए थे और साल 1962 में चीन के खिलाफ और साल 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध का भी वो हिस्सा रहे. खान का कहना था कि गांव में रहते हुए उन्होंने भैंसों के साथ तालाब में तैरना शुरू किया था और सेना में भर्ती होने के बाद उन्हें ट्रेनिंग मिली.
शमशेर खान की बहू ने बताया कि उनके ससुर (शमशेर खान) ने आसपास के लोगों की मदद लेने से इंकार कर दिया था. वो भारतीय सेना के फाइटर थे और एक फाइटर की तरह ही मरना चाहते थे. उन्होंने बताया कि शमशेर सरकार द्वारा उन्हें कोई भी पहचान ना दिए जाने से परेशान थे जबकि कृष्णा जिले के उनके साथ अलंपियंस साथी और पहलवान कमिनेनी ईश्वर राव को सरकार ने अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा था.

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