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6 Nov 2017

मोदी और राहुल दोनों के लिए गुजरात में क्यों है 'करो या मरो' की स्थिति?


नरेंद्र मोदी के सीएम से पीएम बनने के सफर में गुजरात की अहम भूमिका रही है.
नरेंद्र मोदी गुजरात विकास मॉडल को लेकर देश की सत्ता के सिंहासन पर काबिज हुए हैं. यही वजह है कि विपक्ष उनके ही दुर्ग में उन्हें मात देने की जुगत में है,
 तो नरेंद्री मोदी अपने किले को बचाने के लिए पूरा दमखम लगा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि 2019 की लड़ाई गुजरात में लड़ी जा रही है.
 गुजरात में मिली जीत मोदी को और मजबूत बनाएगी तो कांग्रेस के खाते में अगर सफलता आती है तो राहुल गांधी की जबरदस्त लॉन्चिंग हो सकती है.

गुजरात को बीजेपी का दुर्ग कहा जाता है. बीजेपी पिछले पांच विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज करके पिछले दो दशक से गुजरात की सत्ता के सिंहासन पर काबिज है.
 गुजरात विधानसभा की सियासी रणभूमि को छठी बार बीजेपी के वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोर्चा संभालने के लिए खुद उतर रहे हैं.

बता दें कि नरेंद्र मोदी की सियासी वजूद गुजरात की रणभूमि से ही परवान चढ़ा है.
 नरेंद्र मोदी 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने और सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते गए. नरेंद्र मोदी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने और 2014 में करिश्माई जीत दर्ज करके देश के प्रधानमंत्री बने.
बीजेपी पहली बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत के साथ देश की सत्ता पर विराजमान हुई.

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़ दिल्ली आने के बाद से बीजेपी को राज्य में एक विश्वसनीय चेहरा नहीं मिल पाया है,
जो जनता का रुझान अपने पक्ष में कर सके. इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बात गुजरात में बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है.
गुजरात की अवाम बीजेपी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर हुई है.
 पाटीदार से लेकर दलित समुदाय तक में बीजेपी से नाराजगी मानी जा रही है. इतना ही नहीं गुजरात के विकास मॉडल पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.

गुजरात के बदलते सियासी समीकरण को देखते हुए नरेंद्र मोदी ने खुद कमान अपने हाथों में ले ली है.
नरेंद्र मोदी लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं. पिछले एक साल में करीब एक दर्जन से ज्यादा बार गुजरात जा चुके हैं.
उन्होंने गुजरात के विकास के लिए सरकारी खजाने का पिटारा भी खोल दिया. बीजेपी गुजरात में नाराज पाटीदारों को मनाने से लेकर मुस्लिम मतों को भी साधने की कवायद कर रही है.

गुजरात के सियासी रण को जीतने के लिए नरेंद्र मोदी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
 नरेंद्र मोदी 10 नवंबर के बाद से पूरी तरह से गुजराती रंग में नजर आएंगे. बीजेपी ने गुजरात का रण जीतने के लिए मोदी की 50 से 70 रैलियां राज्य में कराने की योजना बनाई है.
\जबकि गुजरात में 33 जिले हैं. इस तरह देखा जाए तो एक जिले में दो चुनावी रैलियों को नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे.
हालांकि इससे पहले पार्टी ने राज्य में प्रधानमंत्री की 15 से 18 रैलियों की योजना बनाई थी,
 लेकिन अब पार्टी ने मोदी से गुजारिश की है कि वे राज्य में कम से कम 50 छोटी-बड़ी रैलियां करें. साथ ही साथ जितना संभव हो सके रोड शो भी हो.

प्रधानमंत्री और बीजेपी के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव साख का सवाल बन गया है, तो विपक्ष को भी दोबारा से खड़े होने का मौका नजर आ रहा है.
 यही वजह है कि नरेंद्र मोदी को सियासी मात देने के लिए विपक्षी दल कांग्रेस उन्हीं के दुर्ग की घेराबंदी करने में जुटी है.
 कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी मोर्चा संभाले हुए हैं. राहुल गांधी गुजरात के युवा त्रिमूर्ती अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक पटेल के सहारे सत्ता के वनवास को खत्म करने में जुटे हैं.
 राहुल गांधी लगातार जातीय समीकरण साधने से लेकर सॉफ्ट हिंदुत्व की राह भी अपनाए हुए हैं.

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