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2 Nov 2017

उत्तराखंड: बीजेपी में उठने लगे बगावत के सुर?

क्या डबल इंजन की सरकार के खिलाफ पूरे देश में विपरीत माहौल बन रहा है?
क्या बीजेपी के विधायक और सांसद ही बीजेपी की सरकार से नाराज हैं?  यकीन करना भले मुश्किल हो मगर ये हम नहीं खुद बीजेपी के विधायक और सांसद के बयान ही जाहिर कर रहे हैं
 कि बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. क्यूंकि एक तरफ जहां उत्तराखंड में बीजेपी विधायक ने मोर्चा खोल दिया है तो वहीं दूसरी ओर पौड़ी सांसद भी इशारों में बहुत कुछ कह गए हैं.
 कहीं ये चिंगारी भड़क कर एक बड़ी आग में तब्दील तो नहीं हो रही?

उधमसिंघनगर के काशीपुर विधानसभा सीट से लगातार 4 बार विधायक चुने गए हरभजन सिंह चीमा की मानें तो उनकी सरकार के खिलाफ पूरे देश में एंटी इंकम्बेंसी शुरू हो गई है,
 मोदी सरकार अपने ही प्रदेश जहां जबरदस्त जनमत के साथ 57 सीट पर बीजेपी की विजय हुई वहीं पर विकास के लिए पैसा नहीं दे पा रहे हैं.
 जिसके लिए बाकायदा उत्तराखंड की जनता ने बीजेपी को भारी बहुमत से सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया था."

बीजेपी विधायक ने साफतौर पर प्रदेश और केंद्र सरकार पर सीधा आरोप लगाया है कि आम जनता की उम्मीद को पूरा करने में सरकारें सफल नहीं हो पा रही हैं
जिसकी वजह से बीजेपी के प्रति पूरे देश में नकारात्मक माहौल बन चुका है. चीमा की मानें तो पूरे देशभर में  हवा बेहद खराब बन रही है जो आने वाले वक्त में पार्टी को नुकसान जरूर पहुंचाएगी.

सिर्फ चीमा नहीं बल्कि यही दर्द पौड़ी से सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री जनरल भुवन चंद खंडूरी की बातों में भी साफ झलक रहा है
अपनी ईमानदार छवि के लिए लोगों में पैठ बनाने वाले जनरल ने कहा है कि सिर्फ मेरे द्वारा बनाया गया लोकायुक्त बिल ही है
 जिसे बाकायदा तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हस्ताक्षर कर पास किया था मगर हम उसे लागू नहीं कर पाए, इस बात को लेकर कष्ट व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा है
 कि अब तो 57 विधायक हैं हमारे पास , पर अभी तक ये बिल पास नहीं हुआ है ,
 जनरल की मानें तो उत्तराखंड की जनता भी इस बिल का इंतजार कर रही है, यही वो बिल है
 जिसके पास होने के बाद विधायक, मंत्री और खुद मुख्यमंत्री भी इसके दायरे में होगा. भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भी ये बेहद जरुरी और महत्वपूर्ण कदम साबित होता अगर इसको हूबहू लागू कर दिया जाए.
 मगर अभी तक इसको ठण्डे बस्ते में ही डाल रखा है.

ऐसा  ही कहना है जनरल खंडूरी का, पर ऐसा कब और कैसे होगा,
इसके बारे में तो खुद जनरल भी नहीं जानते क्यूंकि कभी बीजेपी के लिए जरुरी माने जाने वाले खंडूरी अब शायद उसी बीजेपी के लिए जरुरी नहीं हैं.
जिनकी वजह से कभी उत्तराखंड में बीजेपी की नैय्या पार लगी थी.

इस नाराजगी और एंटी इंकम्बेंसी के सवाल पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी मौका ना गंवाते हुए सीधे तौर पर इस नाराजगी के लिए केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा,
"बीजेपी के इतने वरिष्ठ सांसद जनरल खंडूरी ही अगर खुश दिखाई नहीं देते तो फिर विधायक की नाराजगी बहुत छोटी है."

दिल्ली तक फैली इस नाराजगी के लिए उन्होंने साफतौर पर डबल इंजन की ही सरकार को दोषी मानते हुए कहा कि,
 अब तो केंद्र में भी सरकार और राज्य में भी तो फिर क्यों नहीं लागू कर देते जनरल खंडूरी का लोकायुक्त बिल. इसके बाद जिनको जेल की सलाखें मिलें वो वहां जाएंगे.
 और जो निर्दोष होंगे वो साफ छवि के साथ जनता के बीच.

हरीश रावत ये कहने से भी नहीं चूके कि क्यों ना हाई कोर्ट की डबल बेंच लायी जाए और सौप दिए जाएं उसको सभी भ्रष्टाचार के मामले,
फिर जिसने जो किया है वो भुगते. जिससे जिसकी जो जगह है वो उसे मिले फिर चाहे वो जेल हो या फिर आजादी. ये उन लोगों के लिए भी अच्छा होगा जो सही मायने में पाक साफ हैं.

हरीश रावत ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस से बीजेपी में गए कुछ बड़े नेताओं की तरफ भी कहा कि निराश उनको भी होना पड़ेगा जो यहां से वहां गए हैं बस वक्त की बात है.

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