भारत में फिलहाल 4G नेटवर्क फैल रहा है, मगर दुनियाभर के टेलिकॉम ऑपरेटर्स मोबाइल टेक्नॉलजी की अगली जेनरेशन 5G लाने की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में 5G नेटवर्क की चर्चा शुरू हो चुकी है. ऐसे में आपके मन में सवाल भी उठता होगा कि आखिर 5G क्या है ?
5G नेटवर्क क्या है?
5G या पांचवीं जेनरेशन एक टेक्नॉलजी है जो आज से करीब 2 साल बाद फास्ट मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर काम करेगी. 5G नेटवर्क 20Gbps की स्पीड देगी. अभी 4G नेटवर्क 1Gbps की ही स्पीड दे सकते हैं. एक तरह से आप अपनी पॉकिट में फाइबर ऑप्टिक कनेक्शन लेकर चलेंगे. अगर आपको 5G स्पीड बेहतर मिली तो आप 3 घंटे की HD मूवी केवल 1 सेकेंड में ही डाउनलोड कर पाएंगे, जबकि फुल 4G स्पीड की बात करें तो अभी ये काम करने के लिए आपको 10 मिनट की समय लगता है. यूट्यूब पर विडियो की बफरिंग होना बंद हो जाएगी.
5G नेटवर्क आने से ये होंगे बदलाव
विशेषज्ञों की माने तो 5G टेक्नोलॉजी से पूरी तरह कनेक्टेड सोसाइटी बनने का रास्ता खुलेगा. इसकी मदद से मशीन-टू-मशीन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कनेक्टेड स्मार्ट सिटीज, स्वचालित कार, रिमोट कंट्रोल सर्जरी से लेकर वर्चुअल रिएलिटी जैसी सेवाओं का विस्तार होगा. 5G नेटवर्क की मदद से लोग अपने घर के इलेक्ट्रानिक्स, सॉफ्टवेयर या सेंसर टेक्नोलॉजी से लैस करके वायरलेस नेटवर्क से कनेक्ट कर सकते हैं.
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स्पेक्ट्रम बैंड
5G नेटवर्क्स 3400 MHz , 3500 MHz और 3600 MHz बैंड्स पर रन करते हैं. 3500 MHz बैंड को आदर्श माना जाता है. मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम 5G में अहम भूमिका निभा सकता है. इन्हें मिलीमीटर वेव्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी लेंग्थ 1 से 10 mm होती है. मिलीमीटर तरंगें 30 से 300 GHz फ्रिक्वेंसीज़ पर काम करती हैं. अभी तक इन तरंगों को सैटलाइट नेटवर्क्स और रडार सिस्टम्स में इस्तेमाल किया जा सकता है.
अगर 5G में मिलीमीटर वेव्स इस्तेमाल की जाती हैं तो इसका श्रेय सर जगदीश चंद्र बोस को भी जाएगा. उन्होंने 1895 में ही दिखाया था कि इन वेव्स को कम्यूनिकेशन के लिए यूज किया जा सकता है.
5G नेटवर्क की ये हैं खामियां
शोधकर्ताओं का मानना है कि 5G फ्रीक्वेंसी को मकानों की दीवारें ब्लॉक कर सकती हैं, जिससे लंबी दूरी तक इनका घनत्व भी कम हो जाएगा. इसकी वजह से नेटवर्क कमजोर हो जाएगा. उदाहरण के तौर पर अगर भविष्य में 5G के लिए मिलीमीटर तरंग इस्तेमाल होती है, तो कवरेज की समस्या हो सकती है. जानकारी के अनुसार ऐसी तरंगे इमारतों को भेद नहीं पाती हैं. इसी के साथ ही पेड़-पौधों और बारिश की वजह से भी नेटवर्क में समस्या पैदा हो सकती है.
भारत में यह है 5G की स्थिति
सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम के लिए ऑक्शन की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने ट्राई से कहा है कि 3400 से 3600 MHz बैंड्स की नीलामी के लिए शुरुआती दाम सुझाए. ट्राई ने इसपर काम शुरू कर दिया है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम जल्द ही इस संबंध में एक पॉलिसी भी ला सकता है. दरअसल एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में 5G जैसी फास्ट वायरेलस टेक्नॉलजी लाने से पहले डेटा होस्टिंग और क्लाउड सर्विसेज के लिए रेग्युलेटरी कंडिशंस में बदलाव लाया जाना चाहिए.
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